मेरी पीड़ा मेरी मुर्शिद , वो ही राह दिखाती है !
कौन है अपना गैर कौन, ये पीड़ा ही समझाती है!
हंसते लोगों के अंतस में, सूनापन एकांत दिखा,
खुशियाँ नई नवेली दुल्हन, खुशी खुशी शर्माती है !
चाहे कोई हाथ मिलाये, गले मिले या साथ में खाये,
खोट अगर हो दिल में तो वो,आँखों में दिख जाती है!
दुनियां सच से लबालब है, झूठ हमारे मन में है,
प्रेम ही दिल का बाशिंदा है,सांसे आती जाती है !
रदीफ काफिये के बुर्के में, गजलें जकड़ी होती हैं,
मेरी तुकबंदी तो दिल का, खुल के हाल बताती है!