ये दुनियां ठग का है मेला ,ये ठग तो,जुल्म ढ़ा गयें !
हमारी आत्मा से , आत्मीयता , को सुखा गयें !
किसी जल्लाद के आगे ,मैं इक गर्दन हूँ दुनियां में ,
कभी जो दोस्त थें , जल्लाद के , माने सिखा गयें !
तेरे घर आने से पहले , वो बक्से छोड़ आया माँ ,
कि जिसमें दुनियां भर के ,दर्द ओं दुःख,थें समा गयें !
मैं रोऊं क्यूँ भला माँ , जो तुम्हें , देखा है अरसे बाद,
मेरी आँखों में ये आँसू तो , शगुन, बन के आ गये !
मुझे फिर से दुलारो माँ , मुझे फिर से संवारो ना ,
ये दुनियांदारी वाले कहकहे , दिल को दुखा गयें !
हमारी आत्मा से , आत्मीयता , को सुखा गयें !
किसी जल्लाद के आगे ,मैं इक गर्दन हूँ दुनियां में ,
कभी जो दोस्त थें , जल्लाद के , माने सिखा गयें !
तेरे घर आने से पहले , वो बक्से छोड़ आया माँ ,
कि जिसमें दुनियां भर के ,दर्द ओं दुःख,थें समा गयें !
मैं रोऊं क्यूँ भला माँ , जो तुम्हें , देखा है अरसे बाद,
मेरी आँखों में ये आँसू तो , शगुन, बन के आ गये !
मुझे फिर से दुलारो माँ , मुझे फिर से संवारो ना ,
ये दुनियांदारी वाले कहकहे , दिल को दुखा गयें !
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