सोमवार, 15 सितंबर 2014

tanu thadani तनु थदानी मुझे फिर से दुलारो माँ

ये  दुनियां  ठग  का है मेला ,ये  ठग तो,जुल्म ढ़ा  गयें !
हमारी  आत्मा  से  , आत्मीयता   , को   सुखा   गयें  !

किसी  जल्लाद  के  आगे ,मैं  इक  गर्दन  हूँ  दुनियां  में ,
कभी  जो  दोस्त  थें , जल्लाद  के , माने  सिखा  गयें !

तेरे  घर  आने  से  पहले , वो  बक्से  छोड़  आया  माँ ,
कि जिसमें दुनियां भर  के ,दर्द  ओं  दुःख,थें समा गयें !

मैं  रोऊं  क्यूँ  भला माँ , जो तुम्हें , देखा है अरसे बाद,
मेरी  आँखों  में  ये आँसू  तो , शगुन, बन  के  आ  गये !

मुझे  फिर  से  दुलारो  माँ , मुझे  फिर  से  संवारो  ना ,
ये  दुनियांदारी  वाले  कहकहे , दिल  को  दुखा  गयें !




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