जहाँ एकांत की वारिस, कई मज़बूरियां होंगी !
वहाँ मुस्कान से खुशियों की भी , कुछ दूरियां होंगी !
यहाँ जीवन निपटता है , महज़ इक घर बनाने में ,
ईमानदार घर मालिक की शक्लें , झुर्रियाँ होंगी !
हमारे देश के नेताओं को , हल्के में ही लेना ,
उनकी बातें बड़ी , हाथों में मगर, चूड़ियां होंगी !
हमारी भूख से है दोस्ती , तुम मानो न मानो ,
यहाँ बच्चों से सपने पूछो तो , बस पूरियां होगी !
वहाँ मुस्कान से खुशियों की भी , कुछ दूरियां होंगी !
यहाँ जीवन निपटता है , महज़ इक घर बनाने में ,
ईमानदार घर मालिक की शक्लें , झुर्रियाँ होंगी !
हमारे देश के नेताओं को , हल्के में ही लेना ,
उनकी बातें बड़ी , हाथों में मगर, चूड़ियां होंगी !
हमारी भूख से है दोस्ती , तुम मानो न मानो ,
यहाँ बच्चों से सपने पूछो तो , बस पूरियां होगी !
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