करूँ मैं पूजा कहाँ जो तुमने , प्यार का मंदिर तोड़ दिया है !
मेरे अंध - भरोसे को भी , बीच सड़क पे छोड़ दिया है !!
दर्द को मेरे पढ़ते -पढ़ते , शब्द भी सारे बिलख पड़े हैं ,
क्यूँ मेरे दुःख के किस्सों में , अपमानो को जोड़ दिया है !!
तुमने प्यार तो तन से ढूंढा ,कैसे मिल पाता फिर दिल से ,
नहीं खुलेगा अब ये दिल जो , लाखों तह तक मोड़ दिया है !!
नैतिकता की तोड़ चौहद्दी , नर- मादा सब विचर रहें हैं,
नई सदी ने ऐसा किस्सा , हर घर में हर ओर दिया है !!
नहीं हैं सुनते इक दूजे को , नहीं समझते दिल की बातें ,
हे ईश्वर क्यूँ ऐसा तुमने , सन्नाटे का शोर दिया है ??
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