मंगलवार, 20 मार्च 2012

काश जिन्दगी ऐसी होती hey eshwar-3 (tanu thadani) हे ईश्वर -3{ तनु थदानी }



काश  जिन्दगी  ऐसी   होती , जहाँ   मैं   खुद  के  साथ  भी  होता !
होता  किसी  की  आँखों  मे  तब , नींद  ले  अपनी  चैन  से  सोता !



इच्छाएं   हथियार  बनी , फिर , घायल  मुझको   कर  डाला , तो,
किससे   फिर   मैं   करूँ  शिकायत , आगे   किसके  रोना रोता ?


अंगना   ओढे   धूप  मिला  तो ,  कमरे  छायादार  मिलें ,  फिर ,
दिल  है  करता ,खुद  को  खुद  के ,घर  में  आने  का  दूँ  न्योता  !


यूँ   ना   हो  कि  घर  आते   ही , बनु  अजनबी   अपने  घर  में ,
रिश्ते   अब   ब्यापार   से  बनते , ब्यापारों में  छल  भी  होता !


छम-छम करती नन्ही  बिटिया ,लिपट जो मुझसे  हंसती- रोती,
मैं  खुद  को  सम्पूर्ण  भी  पाता , अगर  नहीं  ये  सपना  होता !




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