शनिवार, 7 दिसंबर 2024

पुराने कपड़े मैली याद के, मैं धो नहीं पाता !


पुराने कपड़े मैली याद के, मैं धो नहीं पाता !
दिल की जमीं पे इक सुकूँ भी, बो नहीं पाता!

जिंदा हूं जमाने में खड़ा, उस मुहाने पर  , 
जहां दुख तो पाता हूँ मगर,मैं रो नहीं पाता! 

लहजे में तेरे है नमक, गल्ती नहीं तेरी,
बस घाव हैं मेरे खुले , मैं सो नहीं पाता !

यादों का जंगल है,वफा के, पेड़ ही नहीं ,
जा के लौट हूं आता मगर ,मैं खो नहीं पाता !

मुझे मुस्कान पंसद है , तुम्हारी हो या हमारी , 
हमेशा मुस्कुरा के हम मिलें, क्यूँ हो नहीं पाता ?
---------------------------- तनु थदानी



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें