पुराने कपड़े मैली याद के, मैं धो नहीं पाता !
दिल की जमीं पे इक सुकूँ भी, बो नहीं पाता!
जिंदा हूं जमाने में खड़ा, उस मुहाने पर ,
जहां दुख तो पाता हूँ मगर,मैं रो नहीं पाता!
लहजे में तेरे है नमक, गल्ती नहीं तेरी,
बस घाव हैं मेरे खुले , मैं सो नहीं पाता !
यादों का जंगल है,वफा के, पेड़ ही नहीं ,
जा के लौट हूं आता मगर ,मैं खो नहीं पाता !
मुझे मुस्कान पंसद है , तुम्हारी हो या हमारी ,
हमेशा मुस्कुरा के हम मिलें, क्यूँ हो नहीं पाता ?
---------------------------- तनु थदानी
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