मंगलवार, 31 दिसंबर 2024

जरूरी ये था कि , रिश्ते को बचा जाते भाई

   जरूरी ये था  कि , रिश्ते को बचा जाते भाई !
   महज करना था ये कि, बहस  हार जाते भाई!

   बात मनवाने को क्या चींखना जरूरी था ?
   बड़ा भाई ही तो था, बस रूठ ही जाते भाई !

   ये तो अच्छा हुआ कि, खुद की नजर में गिरे थे,
   तसल्ली से जरा सोंचो कि,क्या बताते भाई  !

   जुबां पे आग या मिश्री रखो, निर्णय तुम्हारा,
   अब तो बालिग हो तुम्हे, क्या ही समझाते भाई?

   बहुत उलझा हुआ है लाभ व हानि का गणित,
   दिल के स्कूल से आते, तो बताते भाई  !

गुरुवार, 19 दिसंबर 2024

देश हमारे बाप का है, हम,ठोक के सीना कहते हैं





सहिष्णु हमको जग वाले, ऐसे ही न कहते हैं !
संग हमारे सांप व बिच्छू, मेरे ही घर रहते हैं !

पांच बार लाउडस्पीकर पर, गंदी चींखे वो मारे,
पूरे हिन्दुस्तान के वासी, बेबस से बस सहते हैं !

तीन बीबीयां तेरह बच्चे, हर घर एक कबीला है,
मासूमों के जेहन तक, जेहादी कीड़े बहते हैं !

सोचो इनकी सोच सैतालिस सी ही है,सर्तक रहो,
सनातनी भूमि पर,गिद्ध सी, नजरें गाड़े रहते हैं!

सौ हैँ नदियाँ, एक भी उर्दू अरबी इनके नाम नहीं,
देश हमारे बाप का है, हम,ठोक के सीना कहते हैं !

शनिवार, 7 दिसंबर 2024

पुराने कपड़े मैली याद के, मैं धो नहीं पाता !


पुराने कपड़े मैली याद के, मैं धो नहीं पाता !
दिल की जमीं पे इक सुकूँ भी, बो नहीं पाता!

जिंदा हूं जमाने में खड़ा, उस मुहाने पर  , 
जहां दुख तो पाता हूँ मगर,मैं रो नहीं पाता! 

लहजे में तेरे है नमक, गल्ती नहीं तेरी,
बस घाव हैं मेरे खुले , मैं सो नहीं पाता !

यादों का जंगल है,वफा के, पेड़ ही नहीं ,
जा के लौट हूं आता मगर ,मैं खो नहीं पाता !

मुझे मुस्कान पंसद है , तुम्हारी हो या हमारी , 
हमेशा मुस्कुरा के हम मिलें, क्यूँ हो नहीं पाता ?
---------------------------- तनु थदानी