पाया सुकून ख्वाहिशों को , जो घटा गया !
खुशहाल हुआ ज्यों ही अपना ,मैं हटा गया !
दूरी नहीं मिटी , मिटायी लाख लकीरें ,
लफ्जों का वो कबाड़ी,जाने क्या चटा गया !
मैं गिन रहा था जोड़ जोड़, गल्तियां उसकी ,
आया,गले मिल कर के वो,सब कुछ घटा गया !
था प्रश्न, बनना क्या है? तो , मैंने कहा बच्चा ,
कह तो दिया , न होगा , मैं बस छटपटा गया !
खुशहाल हुआ ज्यों ही अपना ,मैं हटा गया !
दूरी नहीं मिटी , मिटायी लाख लकीरें ,
लफ्जों का वो कबाड़ी,जाने क्या चटा गया !
मैं गिन रहा था जोड़ जोड़, गल्तियां उसकी ,
आया,गले मिल कर के वो,सब कुछ घटा गया !
था प्रश्न, बनना क्या है? तो , मैंने कहा बच्चा ,
कह तो दिया , न होगा , मैं बस छटपटा गया !
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