एक मजहब बनाते हैं , एक ईश्वर बनाते हैं !
हमें हैं बेचने कट्टे , चलो सबको लड़ाते हैं !
मुझे बेवकूफ तुझको बोलने का,अब नहीं मतलब,
लड़ाता मैं हूँ फिर भी फैसले , मुझसे कराते हैं !
तुम्हारी धर्म पुस्तक में , जो खंजर घूमता रहता ,
उसी की धार पे खूं के निशां ,सबको डराते हैं !
किसी मासूम की आंखों में ना,आंसू कभी आये ,
चलो मजहब को तेरे मोड़ , खिलौना बनाते हैं !
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