कहीं सवाल के उत्तर में , पत्थर बाज बनते हैं !
यही तो प्रश्न है कि , क्यूँ हम पत्थर बाज बनते हैं ?
हजारों गज जमीं जो गांव में थी , छोड़ छाड़ कर,
यहाँ सौ गज के घर में रह, तरक्की बाज बनते हैं !
वो मां ने जान के चालाकियां ,फिर भी दिये कंगन,
मगर समझे नहीं बेटे , यूं चालबाज बनते हैं !
गजब थी भीड, फाटक बंद था , थी रेल आने को ,
निकाला खुद को नीचे से , बड़े जांबाज बनते हैं !
हमारे पास मौके खूब आते , इंसा होने के ,
मगर हम आदतन, खुद से ही ,धोखेबाज बनते हैं !
फरिश्ते देख कर भागे , हमारे हाल धरती के ,
कि ईश्वर पालने के भी यहाँ , रिवाज बनते हैं !
हम ही बस श्रेष्ठ हैं , सारी लड़ाई का यही मुद्दा ,
धरम की देह पे नाहक ही, खुजली खाज बनते हैं !
कभी मिलना हो मुझसे तो,धरम को छोड़ के मिलना ,
धरम को ओढ़ने वाले ही , पंगेबाज बनते हैं !
मुझे तुम नास्तिक कह लो,मगर ये तो बताओ,क्यूँ,
धरम से युद्ध व जेहाद के , अल्फाज बनते हैं ??
यही तो प्रश्न है कि , क्यूँ हम पत्थर बाज बनते हैं ?
हजारों गज जमीं जो गांव में थी , छोड़ छाड़ कर,
यहाँ सौ गज के घर में रह, तरक्की बाज बनते हैं !
वो मां ने जान के चालाकियां ,फिर भी दिये कंगन,
मगर समझे नहीं बेटे , यूं चालबाज बनते हैं !
गजब थी भीड, फाटक बंद था , थी रेल आने को ,
निकाला खुद को नीचे से , बड़े जांबाज बनते हैं !
हमारे पास मौके खूब आते , इंसा होने के ,
मगर हम आदतन, खुद से ही ,धोखेबाज बनते हैं !
फरिश्ते देख कर भागे , हमारे हाल धरती के ,
कि ईश्वर पालने के भी यहाँ , रिवाज बनते हैं !
हम ही बस श्रेष्ठ हैं , सारी लड़ाई का यही मुद्दा ,
धरम की देह पे नाहक ही, खुजली खाज बनते हैं !
कभी मिलना हो मुझसे तो,धरम को छोड़ के मिलना ,
धरम को ओढ़ने वाले ही , पंगेबाज बनते हैं !
मुझे तुम नास्तिक कह लो,मगर ये तो बताओ,क्यूँ,
धरम से युद्ध व जेहाद के , अल्फाज बनते हैं ??
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