मैं मंदिर तोड़ आऊंगा , तुम मस्जिद तोड़ कर आना !
मैं ईश्वर छोड़ बैठा हूँ , खुदा तुम छोड़ कर आना !
तभी होगी हमारी दोस्ती , जब भारतीय होंगे ,
मैं पापा को मनाऊंगा , तुम अब्बू को भी समझाना !
क्यूँ हमने चाँद- बकरे -रंग -टोपी , बाँट डाले हैं ,
चलो मैं गाऊं कव्वाली , भजन तुम भी जरा गाना !
गज़ब हैं लोग सियासी , कि जो ज़ज्बात से खेलें,
हम ही हैं शाह, नेताओं ने पर, प्यादा हमें माना !
चलो इनकी दूकाने तोड़ , वंदे मातरम् बोलें ,
जहाँ ये बेचते हमको बना के , धर्म का दाना !
फ़कत रस्मों रिवाजों ने , हमें दुश्मन बनाया है ,
नहीं तो माँ भी घर में इक सी है ,ओं इक सा है खाना !
महज़ हम भारतीय हो कर जीयें , तो भी सुखी होंगे ,
जरूरी है नही हिन्दुत्व या , इस्लाम अपनाना !
मैं ईश्वर छोड़ बैठा हूँ , खुदा तुम छोड़ कर आना !
तभी होगी हमारी दोस्ती , जब भारतीय होंगे ,
मैं पापा को मनाऊंगा , तुम अब्बू को भी समझाना !
क्यूँ हमने चाँद- बकरे -रंग -टोपी , बाँट डाले हैं ,
चलो मैं गाऊं कव्वाली , भजन तुम भी जरा गाना !
गज़ब हैं लोग सियासी , कि जो ज़ज्बात से खेलें,
हम ही हैं शाह, नेताओं ने पर, प्यादा हमें माना !
चलो इनकी दूकाने तोड़ , वंदे मातरम् बोलें ,
जहाँ ये बेचते हमको बना के , धर्म का दाना !
फ़कत रस्मों रिवाजों ने , हमें दुश्मन बनाया है ,
नहीं तो माँ भी घर में इक सी है ,ओं इक सा है खाना !
महज़ हम भारतीय हो कर जीयें , तो भी सुखी होंगे ,
जरूरी है नही हिन्दुत्व या , इस्लाम अपनाना !
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