चला जो दौर बिकने का , न सोचा पीछा ना आगा !
बिके सब दोस्त ना जाने ,वो कैसा हाट था लागा !
बुरा था वक्त जिसने चिथड़े , कर डाले रिश्तों के ,
चलो हैं दोस्ती सिलते , लाओ यकीन का धागा !
जो कर दी मेरे दिल पे छापेमारी , मेरे ही सिर ने ,
खजाना दोस्ती का था , जिसे वो लूट कर भागा !
बिगाड़ा है हमारा कल , हमीं ने खुद यहाँ लेकिन ,
हमारी छत पे सदियों से , रहा बदनाम है कागा !
बिके सब दोस्त ना जाने ,वो कैसा हाट था लागा !
बुरा था वक्त जिसने चिथड़े , कर डाले रिश्तों के ,
चलो हैं दोस्ती सिलते , लाओ यकीन का धागा !
जो कर दी मेरे दिल पे छापेमारी , मेरे ही सिर ने ,
खजाना दोस्ती का था , जिसे वो लूट कर भागा !
बिगाड़ा है हमारा कल , हमीं ने खुद यहाँ लेकिन ,
हमारी छत पे सदियों से , रहा बदनाम है कागा !
aap asadharan hai bhagwaan appki is prativa ko bhagwaan sahay ho
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