पिता गये तो पता चला कि , ऐसा भी हो सकता है !
हाथ पीठ तक आते सब के ,सिर पे कोई न रखता है !
गोद में पापा की आ लातें ,मारी मुंह पे होंगी तो भी ,
चूमें होंगें पैर , मुझे ये , पैर देख के लगता है !
गाई कभी ना लोरी लेकिन , मीठा जो स्पर्श किया ,
आज तलक उस छुअन को मेरा ,सपना लेकिन जगता है !
बिन तेरे हम बिखरे से हैं , पापा फिर से आओ ना ,
मैं तो अब तक भी बच्चा हूँ , हर कोई ही ठगता है !
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