शुक्रवार, 7 मार्च 2025

गले से लग के धोखे से,जो मैने धोखा खाया है !

गले से लग के धोखे से,जो मैने धोखा खाया है !
धड़कते दिल को भी मैंने, तभी पत्थर बनाया है!

दुनियां से,विदा होने में हो, बस इतनी आसानी,
कि जितनी तू ने, आसानी से,मुझको भुलाया है!

जो मैं जज्ब था ख्वाबों में तेरे, खुद को भुला के ,
साबित करुं तो कैसे, तुमसे दिल लगाया है!

तू मेरी धड़कनो में,सांस की,रफ्तार को न गिन,
जो पूछे कौन आया है, मैं बोलूं मौन आया है !

कभी बातें सुनो अंतस की, कबूल कर भी लो,
दिमागी सोच ने,दिल को हमारे, बस नचाया है!

जो तेरा था, गया नहीं, गया जो,था  नहीं तेरा,
यही जीने के जिक्र में ,किसी ने,सच बताया  है!